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SolidWork

what is solidworks ? SolidWorks is a popular 3D computer-aided design (CAD) software that is used for creating and designing complex models and assemblies in mechanical engineering, product design, and other industries. It is developed by Dassault Systèmes, a French software company that also owns other popular software such as CATIA and SIMULIA. SolidWorks provides a range of tools and features for creating 3D models, such as sketching, surface modeling, solid modeling, sheet metal design, and assembly modeling. It allows users to simulate and analyze the performance of their designs before manufacturing, including motion analysis, finite element analysis (FEA), and computational fluid dynamics (CFD). It also supports collaboration and sharing of designs with other users through various formats such as STEP, IGES, and STL. SolidWorks is known for its user-friendly interface and intuitive design, which makes it easy for beginners to learn and use. It is widely used in industries such a

कोशिका

कोशिका : कोशिका का इतिहास : सबसे पहले इंग्लैंड के वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने 1665 में सूक्ष्मदर्शी की सहायता से एक कार्क के टुकड़े का अध्ययन किया। जिसमें उन्हें मधुमक्खी के छत्ते के आकार की संरचना दिखी। इस संरचना को  कोशिका  नाम दिया। इस प्रयोग से पहले लोग समझते थे कि कोशिकाएं रिक्त स्थान होती हैं। इस प्रयोग के बाद 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने आकीर्ड नामक पौधे की कोशिकाओ के अंदर पाए जाने वाले केंद्रक या नाभिक (Nucleus) का पता लगाया। 1835 में फेलिक्स डूजारडीन ने कोशिका के अंदर पाए जाने वाले तरल पदार्थ का नाम सारकोड रखा । हयुगो वान मोहल ने 1838 में कोशिका के अंदर पाए जाने वाले तरल पदार्थ का नाम प्रोटोप्लाज्म या जीवद्रव्य रखा । कोशिकावाद ( Cell Theory ) : थियोडर स्वान तथा मैथ्यास स्लाइडर मैं 1839 में कोशिकावाद नामक सिद्धांत दिया था। जिसके अनुसार - 1. जीव धारियों का शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना है। 2. कोशिका जीवद्रव्य का एक पिंड  है जिसमें केंद्रक होता है । 3. ये कोशिकाये विभाजित होकर नई नई कोशिकाओं को जन्म देती है । जीवद्रव्य का सिद्धांत ( Protoplasm Theory ) 1861 में डीवेरी तथा मै

Types of Pollution : Botany

Types of Pollution : वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) : वायुमंडल में प्रत्येक गैस  एक निश्चित अनुपात में पाया जाता है। जब किन्हीं कारणों से इसके अनुपात में परिवर्तन हो तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण को फैलाने में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन  मोनोऑक्साइड, ओजोन, अमोनिया, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसे जिम्मेदार हैं। वायु वायु प्रदूषण को फैलाने में फैक्ट्रीयो, ट्रेन गाड़ियों से निकले कार्बन के कारण एवं दुआ भी जिम्मेदार हैं। वायु प्रदूषण को फैलाने में लेड कैडमियम आयरन सिलिका जिंक टीम जैसे खनिज तत्व कण भी जिम्मेदार हैं। प्रभाव (Effect) : सल्फर डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा होने पर पौधों की पत्तीया सूखने लगता है और मनुष्य कई तरह के रोग जैसे दमा, खांसी तथा फेफड़े आदि के बीमारी हो सकता है। ओजोन से आंख के रोग, सीने में जलन,  कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है। कैडमियम से हृदय संबंधी विकार भी हो सकता है। उपाय ( Solutions) : कल कारखानों की स्थापना मनुष्य की जनसंख्या से दूर करना चाहिए। कल कारखानों की चिमनिया की ऊंचाई बड़ी होनी चाहिए। जिससे उससे निकलने वाली विषाक्त

Pollution : Botany

प्रदूषण (Pollution ) : पृथ्वी मानव सहित लाखों जीव जंतुओं का घर है जो एक दूसरे की जीविय घटक है जो निर्जीव वातावरण जल, थल एवं वायु में पाए जाते हैं । जीव जंतुओं और वनस्पति(पेड़ पौधों) के बीच एक अभिन्न संबंध है और यदि इनमें से किसी एक पर भी छेड़छाड़ किया जाता है तो पूरा इको तंत्र परिवर्तित होता है ।  पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड, प्रकाश तथा जल लेकर जीवित रहते हैं और बदले में हमें हरे पौधे, ऑक्सीजन देते हैं।  वनस्पति और जीव जंतु तथा निर्जीव पदार्थों के बीच संतुलन बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य तथा आवश्यकता है क्योंकि संतुलन बिगड़ जाने से भौतिक रासायनिक जैविक लक्षणों में परिवर्तन देखने को मिलता है।  इससे मनुष्य को बहुत सारी दिक्कतें बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। " वायु ,जल तथा मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक का ऐसा परिवर्तन जो मनुष्य तथा जीव जंतुओं के  जीवन को हानि पहुंचाता है। प्रदूषण कहलाता है। " प्रदूषकों के प्रकार ( Kinds of Pollutants ) : प्रदूषक दो प्रकार के होते हैं। 1.जीवधारी द्वारा क्षयकारी या अपघटनीय प्रदूषण( Decomposable Pollutant )  2.  सूक्ष्म जीवधारियों  द्

Origin of Life : Botany

जीव की उत्त्पति ( Origin of Life )   पृथ्वी पर विविध प्रकार के प्राणी , पौधे देखने को मिलते हैं जैसे कि मनुष्य, हाथी, खरगोश ,आम ,नीम,आदि । मनुष्य को सबसे ताकतवर तथा बुद्धिमान प्राणी के रूप में देखा जाता है। हमारे वैज्ञानिक आए दिन नए-नए जीवो की खोज में लगे रहते हैं। वैज्ञानिकों की देन है कि हम चंद्रमा, मंगल पर अपना सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर सके। मानव अंतरिक्ष में भी जीवन की खोज करने में लगा हुआ है। वैज्ञानिक आज भी जीव की उत्पत्ति कैसे हुई ,समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ हैं। समय-समय पर वैज्ञानिकों जीवन की उत्पत्ति के बारे में परिकल्पना प्रकट की।  जीव की उत्पत्ति के कुछ परिकल्पना है निम्नलिखित है। 1. अनादिकाल 2.  विशिष्ट सृष्टिवाद 3.  प्रलय या महाविनाशवाद  4. स्वत : जनन वाद 5. जीवात जीवोतपत्ती का सिद्धांत 6. ब्रह्मांड वाद 1. अनादिकाल : इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड / जीवन का न तो प्रारंभ है और ना अंत है। जो शुरुआत में जीव उपस्थित/जीवित थे वे आज भी जीवित हैं। और भविष्य में जीवित रहेंगे। मगर यह बात निराधार है क्योंकि अनेक जीव जंतु जो पहले उपस्थित थे वे आज जीवित नहीं हैं जैसे-