स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी मारुति सुजुकी की एक माइल्ड-हाइब्रिड सिस्टम है, जिसे ईंधन की बचत और परफॉर्मेंस सुधारने के लिए डिजाइन किया गया है। यह टेक्नोलॉजी पारंपरिक इंजन के साथ एक इंटीग्रेटेड स्टार्टर जनरेटर (ISG) और लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल करती है। कैसे काम करती है स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी? 1. इंजन स्टार्ट-स्टॉप फ़ीचर – जब गाड़ी ट्रैफिक में रुकती है, तो इंजन ऑटोमैटिकली बंद हो जाता है और एक्सीलेटर दबाने पर तुरंत स्टार्ट हो जाता है। इससे ईंधन की बचत होती है। 2. रीजनरेटिव ब्रेकिंग – जब गाड़ी ब्रेक लगाती है या धीमी होती है, तो सिस्टम उस ऊर्जा को बैटरी में स्टोर कर लेता है, जिससे इंजन पर लोड कम होता है। 3. टॉर्क असिस्ट – एक्सीलेरेशन के दौरान बैटरी से अतिरिक्त टॉर्क मिलता है, जिससे इंजन की परफॉर्मेंस बेहतर होती है और फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ती है। स्मार्ट हाइब्रिड के फायदे बेहतर माइलेज – पारंपरिक पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक फ्यूल एफिशिएंसी। कम कार्बन उत्सर्जन – प्रदूषण कम करने में मदद करता है। स्मूथ ड्राइविंग एक्सपीरियंस – स्टार्ट-स्टॉप टेक्नोलॉजी के कारण कम वाइब्रेशन और बेहतर परफॉर्मे...
कोशिका :
कोशिका का इतिहास :
सबसे पहले इंग्लैंड के वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने 1665 में सूक्ष्मदर्शी की सहायता से एक कार्क के टुकड़े का अध्ययन किया। जिसमें उन्हें मधुमक्खी के छत्ते के आकार की संरचना दिखी। इस संरचना को कोशिका नाम दिया। इस प्रयोग से पहले लोग समझते थे कि कोशिकाएं रिक्त स्थान होती हैं। इस प्रयोग के बाद 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने आकीर्ड नामक पौधे की कोशिकाओ के अंदर पाए जाने वाले केंद्रक या नाभिक (Nucleus) का पता लगाया। 1835 में फेलिक्स डूजारडीन ने कोशिका के अंदर पाए जाने वाले तरल पदार्थ का नाम सारकोड रखा । हयुगो वान मोहल ने 1838 में कोशिका के अंदर पाए जाने वाले तरल पदार्थ का नाम प्रोटोप्लाज्म या जीवद्रव्य रखा ।
कोशिकावाद ( Cell Theory ) :
थियोडर स्वान तथा मैथ्यास स्लाइडर मैं 1839 में कोशिकावाद नामक सिद्धांत दिया था। जिसके अनुसार -
1. जीव धारियों का शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना है।
2. कोशिका जीवद्रव्य का एक पिंड है जिसमें केंद्रक होता है ।
3. ये कोशिकाये विभाजित होकर नई नई कोशिकाओं को जन्म देती है ।
जीवद्रव्य का सिद्धांत ( Protoplasm Theory )
1861 में डीवेरी तथा मैक्स शूल्जे ने इस सिद्धांत को जन्म दिया। जिसके अनुसार जीवित कोशिकाओं के अंदर का जीवद्रव्य एक संगठित रूप है। जिसके अंदर एक केंद्रक होता है। 1880 में स्टार्स बर्गर ने कोशिका के अंदर पाए जाने वाले केंद्रक का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया। वाल्डेयर ने केंद्र के अंदर पाए जाने वाले सूत्रों को गुणसूत्र ( Chromosomes ) नाम दिया।
पादपों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं :
1. मृदुतक कोशिका
2. जीवाणु
3. वाहिनिका
4. डेस्मिक
5. इडियोब्लास्ट
6. वलयाकार वहिनिका
7 दृह कोशिका
8. डाएतम
9. रेशा कोशिका
कोशिकाओं के परिमाण एवम् आकार ( Size and Shape of Cells ) :
कोशिकाओं का आकार छोटे होने के कारण इसे हम सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखते हैं। पादप कोशिकाओं का आकार 0.01 mm से 1 mm तक लंबा होता है। जीवाणु कोशिकाओं का पादप कोशिकाओं के आकार से छोटा है। यह 0.01 mm तक छोटा होता है। सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाजमा का आकार 0.1 माइक्रोन होता है। शुतुरमुर्ग का अंडा भी एक कोशिका है जो 15 सेेंमी लंबा होता है।
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