स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी मारुति सुजुकी की एक माइल्ड-हाइब्रिड सिस्टम है, जिसे ईंधन की बचत और परफॉर्मेंस सुधारने के लिए डिजाइन किया गया है। यह टेक्नोलॉजी पारंपरिक इंजन के साथ एक इंटीग्रेटेड स्टार्टर जनरेटर (ISG) और लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल करती है। कैसे काम करती है स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी? 1. इंजन स्टार्ट-स्टॉप फ़ीचर – जब गाड़ी ट्रैफिक में रुकती है, तो इंजन ऑटोमैटिकली बंद हो जाता है और एक्सीलेटर दबाने पर तुरंत स्टार्ट हो जाता है। इससे ईंधन की बचत होती है। 2. रीजनरेटिव ब्रेकिंग – जब गाड़ी ब्रेक लगाती है या धीमी होती है, तो सिस्टम उस ऊर्जा को बैटरी में स्टोर कर लेता है, जिससे इंजन पर लोड कम होता है। 3. टॉर्क असिस्ट – एक्सीलेरेशन के दौरान बैटरी से अतिरिक्त टॉर्क मिलता है, जिससे इंजन की परफॉर्मेंस बेहतर होती है और फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ती है। स्मार्ट हाइब्रिड के फायदे बेहतर माइलेज – पारंपरिक पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक फ्यूल एफिशिएंसी। कम कार्बन उत्सर्जन – प्रदूषण कम करने में मदद करता है। स्मूथ ड्राइविंग एक्सपीरियंस – स्टार्ट-स्टॉप टेक्नोलॉजी के कारण कम वाइब्रेशन और बेहतर परफॉर्मे...
जीव की उत्त्पति ( Origin of Life )
पृथ्वी पर विविध प्रकार के प्राणी , पौधे देखने को मिलते हैं जैसे कि मनुष्य, हाथी, खरगोश ,आम ,नीम,आदि । मनुष्य को सबसे ताकतवर तथा बुद्धिमान प्राणी के रूप में देखा जाता है। हमारे वैज्ञानिक आए दिन नए-नए जीवो की खोज में लगे रहते हैं। वैज्ञानिकों की देन है कि हम चंद्रमा, मंगल पर अपना सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर सके। मानव अंतरिक्ष में भी जीवन की खोज करने में लगा हुआ है। वैज्ञानिक आज भी जीव की उत्पत्ति कैसे हुई ,समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ हैं। समय-समय पर वैज्ञानिकों जीवन की उत्पत्ति के बारे में परिकल्पना प्रकट की।
जीव की उत्पत्ति के कुछ परिकल्पना है निम्नलिखित है।
1. अनादिकाल
2. विशिष्ट सृष्टिवाद
3. प्रलय या महाविनाशवाद
4. स्वत : जनन वाद
5. जीवात जीवोतपत्ती का सिद्धांत
6. ब्रह्मांड वाद
1. अनादिकाल :
इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड / जीवन का न तो प्रारंभ है और ना अंत है। जो शुरुआत में जीव उपस्थित/जीवित थे वे आज भी जीवित हैं। और भविष्य में जीवित रहेंगे। मगर यह बात निराधार है क्योंकि अनेक जीव जंतु जो पहले उपस्थित थे वे आज जीवित नहीं हैं जैसे- जीवाश्म( fissile) ।
2. विशिष्ट सृष्टिवाद :
इस सिद्धांत के अनुसार जीवन/जीवो की उत्पत्ति ईश्वर के द्वारा हुई । भगवान ने शुरू से ही अनेक जीवो की रचना की जो आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं। भविष्य में भी कोई परिवर्तन की संभावना नहीं है इस त को सबसे पहले स्पेन के पादरी स्वरेज (Suarez) ने कहा था ।
इनके अनुसार पृथ्वी की निर्माण 6 दिन में हुआ था। पहले दिन पृथ्वी और आकाश, दूसरे दिन दोनों को अलग करके पानी बनाया, तीसरे दिन भूमि तथा पौधों की रचना, चौथे दिन चांद तारे सूर्य का निर्माण और पांचवें तथा आखिरी दिन जीवो को बनाया गया। इस मत को यूरोप में 1850 ईस्वी पूर्व तक अपनाया गया मगर यह विचारधारा भी गलत साबित हुई क्योंकि वैज्ञानिको के अनुसार शुरू में पृथ्वी बहुत गर्म थी जिसमें जीवन का विकास होना असंभव है।
3. प्रलय या महाविनाशवाद :
पृथ्वी को शुरुआत और अभी तक कुछ युगो में बांटा गया है। जिसके अनुसार हर युग का अंत में प्रलय होता है। और उस युग के सभी जीवो का विनाश हो जाता है। और नए युग में नए जी उत्पन्न होते हैं यह सिद्धांत कीयूवीयर (Cuvier) नामक वैज्ञानिक का था जो कि गलत साबित हुई क्योंकि पहले और आज के जीवन में समानता पाई गई हैं।
4.स्वत : जननवाद :
इस सिद्धांत के अनुसार जीवन की उत्पत्ति अपने आप हुई। यूनानी वैज्ञानिक अरस्तु के अनुसार सड़े मांस से मक्खी तथा कूड़े करकट के ढेर से चूहों का जन्म हुआ। वन हेलमंट(Von Belmont ) का मत था कि गेहूं के चोकर को मानव के पसीने के कपड़े से लगभग 3 सप्ताह रखने से उसमें चूहे उत्पन्न हो जाते हैं।
Von Helmont ने इटालियन वैज्ञानिक रेड्डी की कथन "निर्जीव पदार्थ से सजीव पदार्थ उत्पन्न नहीं हो सकता है" को अपने प्रयोग द्वारा असत्य बतलाया है । इसके लिए वन हेलमंट ने बहुत सारे जानवरों के मांस को अच्छे से उबालकर 3 बोतलों में रख दिया। पहले बोतल के ऊपर कुछ नहीं रखा, दूसरे बोतल के ऊपर बारीक जालीदार कपड़े से ढक दिया और तीसरे के ऊपर पेपर से ढक दिया। कुछ दिन के बाद पहले बोतल के ऊपर मक्खियों ने डिमबक (Larva) दे दिया और बाकी बोतल में प्रवेश नहीं हो सके। इससे पता चलता है कि पहले बोतल में डिमबक (Larva) अपने आप उत्पन्न नहीं हुआ। इसलिए यह मत भी गलत साबित हुआ।
5. जीवात जीवोतपत्ती का सिद्धांत :
इस सिद्धांत के अनुसार जीवो की उत्पत्ति अपने ही अनुरूप आकृति तथा गुणों से युक्त जीव की होती है। लुई पाश्चर(Louise Postenur) जो फ्रांसीसी वैज्ञानिक था उसने स्वत : जनन वाद को गलत बताया ।
इसके लिए उसने एक फलासक में यीस्ट और शक्कर के खोल को, S प्रकार के फलास्क में रखकर रुई की डांट से ढक दिया। उसने घोल को अच्छी तरह से उबालकर सभी जीवाणुओं को नष्ट कर दिया। कई दिन बाद तक फ्लासक के घोल में कोई परिवर्तन नहीं आया। इसके बाद उसने flask के गर्दन को तोड़ दिया। जिसके बाद बीजाणु या स्पोर्ट्स अंदर आ गए और दुर्गंध आने लगी क्योंकि सूक्ष्मजीव पैदा हो गए थे। इससे पता चलता है कि जीव की उत्पत्ति flask के रस जैसे पदार्थ से नहीं हो सकती है बल्कि जीव से ही हो सकती हैं।
6. ब्रह्माण्डवाद :
कुछ वैज्ञानिक जैसे लिविंग(Liebig), केल्विन( Kelwin) तथा और आरहेनियस(Arrhenius) का मत था कि पृथ्वी पर जीव किसी दूसरे ग्रह से आए थे। मगर या मत भी गलत साबित हुआ क्योंकि अंतरिक्ष से भूमि की ओर आने वाली उल्का पिंड गर्म हो जाती है, जिससे उनमें जीव का फल भर के लिए जीवित रहना मुमकिन नहीं है।
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