what is solidworks ? SolidWorks is a popular 3D computer-aided design (CAD) software that is used for creating and designing complex models and assemblies in mechanical engineering, product design, and other industries. It is developed by Dassault Systèmes, a French software company that also owns other popular software such as CATIA and SIMULIA. SolidWorks provides a range of tools and features for creating 3D models, such as sketching, surface modeling, solid modeling, sheet metal design, and assembly modeling. It allows users to simulate and analyze the performance of their designs before manufacturing, including motion analysis, finite element analysis (FEA), and computational fluid dynamics (CFD). It also supports collaboration and sharing of designs with other users through various formats such as STEP, IGES, and STL. SolidWorks is known for its user-friendly interface and intuitive design, which makes it easy for beginners to learn and use. It is widely used in industries such a...
Types of Pollution :
वायुमंडल में प्रत्येक गैस एक निश्चित अनुपात में पाया जाता है। जब किन्हीं कारणों से इसके अनुपात में परिवर्तन हो तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं।
- वायु प्रदूषण को फैलाने में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, अमोनिया, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसे जिम्मेदार हैं।
- वायु वायु प्रदूषण को फैलाने में फैक्ट्रीयो, ट्रेन गाड़ियों से निकले कार्बन के कारण एवं दुआ भी जिम्मेदार हैं।
प्रभाव (Effect) :
- सल्फर डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा होने पर पौधों की पत्तीया सूखने लगता है और मनुष्य कई तरह के रोग जैसे दमा, खांसी तथा फेफड़े आदि के बीमारी हो सकता है।
- ओजोन से आंख के रोग, सीने में जलन, कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है।
- कैडमियम से हृदय संबंधी विकार भी हो सकता है।
उपाय ( Solutions) :
- कल कारखानों की स्थापना मनुष्य की जनसंख्या से दूर करना चाहिए।
- कल कारखानों की चिमनिया की ऊंचाई बड़ी होनी चाहिए। जिससे उससे निकलने वाली विषाक्त गैसे हमारे पास से दूर हो तथा फिल्टर का उपयोग करना चाहिए जिससे वायुमंडल में कम प्रदूषण हो।
- पेट्रोल, डीजल, केरोसिन एवं अन्य पेट्रोलियम पदार्थ का उपयोग करना चाहिए। और इसके जगह प्राकृतिक पदार्थ जैसे सौर ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए।
- वायु प्रदूषण को रोकने के लिए खाली स्थान पेड़ पौधे लगाने चाहिए जिससे अ आक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच में अनुपात परिवर्तित न हो ।
जल प्रदूषण (Water Pollution ) :
पृथ्वी की सतह का लगभग 71 प्रतिशत भाग जल से घिरा है और उसमें से लगभग 97 प्रतिशत भाग पानी समुदर में पाया जाता है। और बाकी जल नदी और भूमि के नीचे पाई जाती हैं।
समुद्र का जल खारा और जलीय जीवधारियों का घर होता है। लगभग 1% पानी ही पीने योग्य है। मनुष्य के शरीर में लगभग 60 से 80 प्रतिशत पानी की मौजूदगी है। जिससे जल सभी के लिए एक आवश्यक घटक है।
" जब जल में हम औद्योगिक कचरा, कूड़ा- करकट, मल और कीटनाशक पदार्थ मिलाते हैं तो वह पानी पीने लायक नहीं रहता है जो जल प्रदूषण कहलाता है। "
प्रभाव (Effect) :
- जल में प्रदूषण बढ़ने से ऑक्सीजन की मात्रा घटती है जिससे जलीय जीवधारियों जैसे मछली की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- यदि मनुष्य दूषित पानी पिए तो उसको आत, पीलिया, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारी हो सकती है।
उपाय (Solutions) :
- कल कारखानों से निकली बिजली पानी को नदी में ना डालकर पहले उसे फिल्टर करना चाहिए।
- जिन जलाशयों में पशु पक्षी पानी पीते हैं एवं मनुष्य मछली पालते हैं उसमें साबुन का इस्तेमाल नहाने के लिए नहीं करना चाहिए।
- किसानों को कीटनाशक का उपयोग ना करके जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) :
मिट्टी के निर्माण में खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, जल तथा कुछ गैसों की निश्चित मात्रा पाई जाती हैं जिसके परिवर्तन होने पर मृदा प्रदूषण होता है।
मिट्टी में अलग-अलग प्रकार के कीटाणुनाशक, शाकनाशक, कवकनाशक और उर्वरक का इस्तेमाल करने से मृदा प्रदूषण उत्पन्न होता है।
प्रभाव (Effect) :
- जब हम खेत में कीटनाशक का प्रयोग करते हैं तो बहुत सारा भाग मिट्टी पर चला जाता है जिससे मिट्टी और फसल को हानि पहुंचती है।
- जब हम कीटनाशक का प्रयोग करते हैं तो यह पौधों के अंदर जाकर एक अंग हो जाता है और इसे खाते हैं तो इससे शरीर में अनेक प्रकार की बीमारी हो सकती है। बहुत सारे देश डीडीटी का इस्तेमाल पर पाबंदी लगा चुके हैं।
उपाय (Solutions) :
- कीटनाशक एवं उर्वरक का उपयोग ना करके जैविक खाद जैसे गोबर, फल के छिलके आदि अमल का इस्तेमाल करना चाहिए।
- किसी भी खाद्य पदार्थ को बनाने से पहले अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution) :
विभिन्न प्रकार के मशीनों, रेलगाड़ी, लाउडस्पीकर जैसी यंत्रों से निकली आवाज ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है।
प्रभाव (Effect) :
मनुष्य एवं जीव जंतु एक निश्चित तीव्रता कि ध्वनि सुन और सह सकते हैं।
यदि इसमें परिवर्तन किया जाए तो नींद संबंधी विकार, हृदय, मस्तिष्क एवं यकृत की बीमारी हो सकती है।
उपाय (Solutions) :
- बिना कोई वजह के तेज ध्वनि से बचना चाहिए।
- कल कारखाने आबादी से दूर लगानी चाहिए।
रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग मुख्यतः बिजली बनाने में की जाती है।
और यदि इसको बनाने में थोड़ी भी लापरवाही की जाए तो इससे आसपास के मनुष्य जीवन को का मृत्यु हो सकता है। और यह बाकी प्रदूषण से काफी ज्यादा खतरनाक है।
बहुत सारे देश रेडियोधर्मी पदार्थ के समान परमाणु बम बनाने में करते हैं।
प्रभाव (Effect) :
रेडियोधर्मी प्रदूषण से आसपास के लोग मृत्यु अंगों में विकार जी और गुणों में परिवर्तन हो जाता है।
उपाय (Solutions) :
रेडियोधर्मी पदार्थों का सुरक्षित इस्तेमाल सुनिश्चित कराना चाहिए।
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