स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी मारुति सुजुकी की एक माइल्ड-हाइब्रिड सिस्टम है, जिसे ईंधन की बचत और परफॉर्मेंस सुधारने के लिए डिजाइन किया गया है। यह टेक्नोलॉजी पारंपरिक इंजन के साथ एक इंटीग्रेटेड स्टार्टर जनरेटर (ISG) और लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल करती है। कैसे काम करती है स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी? 1. इंजन स्टार्ट-स्टॉप फ़ीचर – जब गाड़ी ट्रैफिक में रुकती है, तो इंजन ऑटोमैटिकली बंद हो जाता है और एक्सीलेटर दबाने पर तुरंत स्टार्ट हो जाता है। इससे ईंधन की बचत होती है। 2. रीजनरेटिव ब्रेकिंग – जब गाड़ी ब्रेक लगाती है या धीमी होती है, तो सिस्टम उस ऊर्जा को बैटरी में स्टोर कर लेता है, जिससे इंजन पर लोड कम होता है। 3. टॉर्क असिस्ट – एक्सीलेरेशन के दौरान बैटरी से अतिरिक्त टॉर्क मिलता है, जिससे इंजन की परफॉर्मेंस बेहतर होती है और फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ती है। स्मार्ट हाइब्रिड के फायदे बेहतर माइलेज – पारंपरिक पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक फ्यूल एफिशिएंसी। कम कार्बन उत्सर्जन – प्रदूषण कम करने में मदद करता है। स्मूथ ड्राइविंग एक्सपीरियंस – स्टार्ट-स्टॉप टेक्नोलॉजी के कारण कम वाइब्रेशन और बेहतर परफॉर्मे...
Will Tata purchase the Air India ?
आखिर क्यों एयर इंडिया को कोई खरीदार नहीं मिल रहा है ?
एयर इंडिया के बिक्री में देरी होने के क्या कारण है ?
साल 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। जेआरडी एक पायलट होने के नाते वे इसकी पहली उड़ान खुद भरी थी।
टाटा एयरलाइंस के 16 साल बाद 1948 में जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया इंटरनेशनल नाम की एयरलाइंस की शुरुआत की।
उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू उन्होंने साल 1953 में एयर इंडिया इंटरनेशनल का राष्ट्रीयकरण करके एयर इंडिया कर दिया। एयर इंडिया के राष्ट्रीय होने के बाद इसकी प्रमुख देशों के प्रमुख शहरों तक विस्तार हुआ।
मगर धीरे-धीरे यह भ्रष्ट नौकरशाही और राजनीति के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ गई।
साल 1932 - टाटा एयरलाइंस की स्थापना
साल 1948 - एयर इंडिया इंटरनेशनल की स्थापना
साल 1953 - राष्ट्रीयकरण
साल 1977 - तक जेआरडी टाटा चेयरमैन बने रहे
साल 2017 - 50,000 करोड़ का कर्ज था
साल 2018 - 80,000 करोड़ का कर्ज हो गया।
कुछ लेखों के अनुसार एयर इंडिया के आर्थिक स्थिति बिगड़ने का कारण निम्न हो सकते हैं।
1. एयर इंडिया के विमानों के लाभ वाले रूट की सीटों को अरब देशों के एयरलाइंस को औने पौने दामों में देना । जिससे लाभ घाटा बढ़ गया।
2. एयर इंडिया में राजनीतिक आधार पर हमेशा नियुक्तियां होती थी जिससे स्टाफ की संख्या में वृद्धि हुई।
Equilty Support :
2011 -12 - 1200 cr
2012 - 13 - 6000 cr
2013 - 14 - 6000 cr
2014 - 15 - 5780 cr
2015 - 16 - 3300 cr
2016 - 17 - 2465.21 cr
2017 - 18 - 1800 cr
साल 2001 में टाटा, एयर इंडिया को खरीदना चाहती थी लेकिन सरकार उसे नहीं बेचना चाहती थी।
मगर टाटा की इच्छा था कि वह एयरलाइंस में आए इसलिए साल 2013 में टाटा ने मलेशिया की कंपनी एयर एशिया और सिंगापुर की कंपनी सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर एयर एशिया इंडिया और विस्तारा एयरलाइंस जैसी कंपनी बनाई।
Vistata - Full service / premium
43 Aircrafts
39 Distinations
4000 Employees
Air Asia India - Low cost
30 Aircrafts
21 Destinations
2500 Employees
भारत में आज टाटा का एयरलाइंस में बिजनेस 13% है ।
साल 2018 में पहली वार बोली लगाई गई थी । जिसमें 76 % stake सरकार बेचना चाहती थी और बाकी 24 % stake सरकार अपने पास रखना चाहती थी। कोई भी पार्टी नहीं था जो एयर इंडिया को खरीदना चाहता था।
इसके बाद सरकार ने EY ( Ernst and Young ) से कहां की आखिर क्या कारण है कि कोई NTT , एयर इंडिया को खरीदने को तैयार नहीं है।
इसके बाद EY में एक रिपोर्ट जारी की और कहां की
1. 24 % stake सरकार रखना चाहती है जिससे किसी भी कंपनी को लगता है कि इसमें सरकार दखल देगी और इसलिए कोई भी इंटरेस्टेड नहीं है।
2. क्रूड आयल के दाम में लगातार बदलाव हो रहा था।
3. एक्सचेंज रेट भी चेंज हो रहा था
4. ज्यादा कर्ज
इसके बाद सरकार ने कुछ बदलाव किए जैसे 76% stake से 100% stake बेचना।
एयर इंडिया की एक शेयरहोल्डिंग है वह है एयर इंडिया एक्सप्रेस।
इसमें 50% एयर इंडिया के पास है और बाकी 50% सिंगापुर SAT एयरपोर्ट सर्विस के पास है।
शुरुआत में 33,392 cr का कर्ज था। जो सरकार ने हटाकर 23,286 cr कर दिया ।
अभी सरकार की तरफ से कुछ भी official नहीं कहा गया है जबकि source की माने तो ने टाटा ग्रुप ने खरीदने के लिए इंटरेस्ट दिखाया है।
टाटा की वर्तमान में दो कंपनी विस्तारा और एयर एशिया इंडिया कंपनी है। मगर इन दोनों ने बोली नहीं लगाई है।बल्कि टाटा ग्रुप ने लगाई है ।
टाटा संस ने 1995 में एयरलाइंस में आने के लिए इच्छा जताई थी लेकिन सरकार ने approval नहीं दिया था।
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